Monday 5 September 2011

निर्धन जन का धनिक तंत्र


अन्ना और रामदेव का आंदोलन क्या हुआ, देश का राजनीतिक  माहौल ही बदल गया। भ्रष्टाचार विरोधी गैर-राजनीतिक आंदोलनों ने हमारी सियासी जमात को ही संदेह के घेरे में ला दिया है। सडक़ पर चल रहा आम आदमी आज यह मान बैठा है कि वर्तमान केन्द्र सरकार के मंत्रिमंडल में ‘भ्रष्ट-रत्नों’ और ‘भ्रष्ट-विभूषणों’ की भरमार है, जिनमें से कुछ की तो तिहाड़ जेल में भी शाही मेहमान नवाजी हो रही है। पूरे देश में भ्रष्टाचार विरोधी माहौल बनने के कारण प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के औपचारिक नेतृत्व में चल रही सरकार को भी यह ‘दिखाना’ पड़ रहा है कि वह पारदर्शिता में यकीन करती है। तभी तो आदरणीय मंत्रिमहोदयों को अपनी सम्पत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करना पड़ा है। घोषित सम्पत्ति में कितनी हकीकत है, इस पर यही कहा जा सकता है कि ‘यह पब्लिक है सब जानती है।’ सम्पत्तियों का यह विवरण भी कुछ वैसा ही है जैसा लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने में प्रत्‍याशी अपने खर्च के बारे में ब्‍यौरा देता है। कोई उसको सच नहीं मानता लेकिन कानूनी औपचारिकताएं तो पूरी करनी ही होती है।  
कुछ सम्मानित मंत्रियों द्वारा डेडलाइन गुजरने के बाद भी विवरण उपलब्ध नहीं कराने के कारण उन्हें आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। यह कोई लापरवाही या अवज्ञा नहीं है। उन्हें अपने सीए और वकील के साथ मिल-बैठकर सम्पत्ति का ‘उचित एवं स्वीकार्य’ ब्यौरा तैयार करने का मौका तो मिलना ही चाहिये ताकि किसी आरटीआई कार्यकर्ता का आवेदन उनके गले की फांस न बन जाये।
सवाल पूछा जा रहा है कि जिस देश की 40 प्रतिशत से ज्यादा आबादी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन यापन करती है, उस देश के अधिकांश मंत्रियों को करोड़पति होने में नैतिक ग्लानि नहीं होती? अगर ऐसा भाव मन में आ जाये तो भारतीय राजनीति नेताविहीन हो जायेगी। कुछ अव्‍यावहारिक और कोरे आदर्शवादियों को छोड दें तो लोग अपनी सात पीढियों के पाप धोने के लिये ही तो राजनीति में प्रवेश करते हैं।
  एक पेशी के चार-पांच लाख वसूलने वाले धुरंधर वकील माननीय श्री कपिल सिब्बल जी की कुल सम्पत्ति 38 करोड़ रूपये है। कुछ दिन पहले तक योग की मार्केटिंग कर धन कमाने वाले रामदेव के नजदीकी श्री कमलनाथ जी की व्यक्तिगत सम्पत्ति लगभग 40 करोड़ रूपये है। लेकिन 25 कंपनियों में उनके 200 करोड़ रूपये से ज्यादा के व्यावसायिक हित होने के बावजूद उन्हें वाणिज्य मंत्रालय मिलने की समझ पर सवाल उठाये गये हैं। शंकालु प्रवृति वाले लोगों को समझना चाहिये कि इतनी कंपनियों के संचालन का अनुभव उन्हें व्यापार-वाणिज्य की बेहतर समझ देता है। देश की जनता इसका कोई फायदा न उठा पाये तो उनका क्या कसूर।
  केवल 12 करोड़ रूपये की सम्पत्ति के धारक परम सम्माननीय किसान नेता श्री शरद पवार की छत्रछाया में राजनीति करने वाले श्री प्रफुल्ल पटेल की संपत्ति करीब 100 करोड़ रूपये  है। श्री पवार को श्री पटेल पर नाज होना चाहिये कि चेला गुरू से आगे निकल गया। वैसे आलोचनाओं से बहुत उपर उठ चुके पवार साहब का भी जवाब नहीं, जितनी मेहनत वे अपने मंत्रालय और क्रिकेट की बेहतरी के लिये करते हैं, उससे ज्‍यादा मेहनत अपने सीए और वकील से संपत्ति  का ब्‍यौरा तैयार कराने में करवायी है।
 35 लाख रूपये धारक ए. के. एंटनी जैसे  राजनेताओं को तब तक मंत्रिमण्डल में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है जब तक श्री कमलनाथ, श्री चिदंबरम, श्री पवार, श्री सिब्बल और श्री प्रफुल्ल पटेल जैसे धनकुबेर अपनी मौजूदगी से देश के निर्धनों का दुख दर्द कम करने की कोशिश करते रहेंगे।

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