Monday 5 September 2011

बहनजी के खिलाफ साजिश


हमारी जनप्रिय बहनजी सुश्री मायावती को अमरीका वाले बदनाम करने की साजिश रच रहें हैं। साथ में जूलियन असांजे नाम का एक पागल भी उनके साथ्‍ा हो गया है। आखिर मायावती जी ने इन पूंजीवादियों का क्या बिगाड़ा है? क्या प्रधानमंत्री बनने की इच्छा पालना अपराध है? स्वर्गीय श्री अर्जुन सिंह जी भी तो अपनी अंतिम सांसें गिनते गिनते डीएमके के मुखिया श्री करूणानिधि जी के पास प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद लेने गये थे। श्री आडवाणी जी तो विपक्ष में बैठ कर भी प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब लेते रहते हैं जिसके कारण उनका तो नाम ही पीएम इन वेटिंग हो गया हैं।  वैसे भी भारत जैसे ‘लोकतांत्रिक’ देश में जब श्रीमान देवगौड़ा और श्रीमान गुजराल जैसे नेता, जो अपने बलबूते शायद अगले जन्म में भी प्रधानमंत्री बनने की नहीं सोच सकते थे, कांग्रेसी बैसाखियों से प्रधानमंत्री बन गये तो बहनजी के प्रधानमंत्री बनने की इच्छा का इतना मजाक क्यों बनाया जा रहा है? वे पिछले पांच साल से प्रधानमंत्री बनने का केवल ख्वाब ही नहीं ले रही हैं बल्कि उसे पूरा करने लिये आवश्यक धनसामग्री भी इकट्टा कर रही है।
विकिलीक्स हमें बता रहा है कि बहुजनहिताय की भावना अपने दिल में हमेशा संजोने वाली हमारी बहनजी के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार संस्थागत हो गया है। दरअसल इन अमरीकियों की नजर में ही खोट है। यह कोई भ्रष्टाचार वगैरह नहीं है, यह तो हमारी राजनीतिक संस्कृति का अभिन्न अंग है। ये तो अन्‍ना जैसे फालतू बैठे लोगों ने भ्रष्‍टाचार को जबरदस्‍ती एक मुद़दा बना दिया। अगर अमरीकियों को भी उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया जाये तो वे भी मान जायेंगे कि भ्रष्टाचार को आत्मसात एवं अंगीकृत किये बिना वहां जनता की भलाई करना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी संभव नहीं है।अहसानफरामोश श्री सतीश चंद्र मिश्रा जी को यदि बहनजी इतनी ही भ्रष्‍ट और निरंकुश लगती हैं तो वे बसपा में कर क्‍या रहें है। श्री मिश्रा जैसे सवर्ण नेता जिस थाली में खाते हैं, उसी में छेद करते हैं।
हमें बताया गया है कि हरदिल अजीज बहनजी ने एक मंत्री को बिना उनकी इजाजत के राज्यपाल से बात करने के लिये अपने सामने उठक-बैठक करायी। समस्या यह है कि अमरीकी लोग उठक-बैठक को सजा मान रहे हैं। उन्हें कौन बताये कि हमारे देश के तमाम स्कूलों में अनुशासन का यह एक सामान्य तरीका है। और महामाया साहिबा भी तो एक अध्‍यापिका रह चुकी हैं। यह तो उनकी विनम्रता, दयालुता और विशालह्यदयता है जो उस गुस्ताख और बद्तमीज मंत्री को मुर्गा नहीं बनाया गया।
अगर जनता के  दिलों पर राज करने वाली बहनजी ने अपने पसंदीदा सैंडल मंगवाने के लिये एक प्राइवेज जेट विमान मुम्बई भेज दिया तो इतना हो-हल्ला मचाने की क्या जरूरत है? अब क्‍या वे चप्‍पल और सैंडल पहनना भी छोड दें। सच्चाई तो यह है कि एक दलित की बेटी होने के कारण उन्हें ‘चार्टर्ड चप्‍पल’ पहनने के लिये परेशान किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की जनता ने उन्हें चुना है, इसलिये उनको यह तय करने का पूरा अधिकार है कि जनता की कमाई को कहां खर्च किया जाये।
रसोइयों की फौज खड़ी करने पर बहन मायावती जी की खिल्ली उड़ाना अमरीकियों की ओछी सोच का ही परिणाम है। क्या आदरणीय मायावती जी को कुछ खाने का भी अधिकार नहीं है। अमरीकियों को यह समझ लेना चाहिये कि अन्ना हजारे की तरह भूखे रहने का न तो बहनजी को कोई अभ्यास है और न ही ऐसा करने का कोई इरादा। भूखे पेट तो भजन भी नहीं होता, फिर वे तो दिन-रात दलितों के  उत्थान में लगी रहती हैं। सूख कर कांटा हो गई हैं।
अब क्‍या बहनजी ने कुछ गलत कहा कि इस असांजे को पागलखाने भेज देना चाहिये।

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