Friday 9 September 2011

ऐरन को ब्रह्मज्ञान


बरेली से कांग्रेस सांसद प्रवीन सिंह ऐरन का नाम भला कौन भूल सकता है। अन्ना आंदोलन के दौरान उन्होंने अपनी व्यक्तिगत हैसियत में जनलोकपाल बिल को मसौदा समिति के पास भेजा था। उनके इस कदम से खबरिया चैनलों को लोकपाल मुद्दे पर विश्लेषण करने के लिये एक और विशेषज्ञ मिल गया था। इस दौरान खूब प्राइम टाइम बटोरा था ऐरन ने। वे रातों-रात सेलिब्रिटी सांसद बने गये। लेकिन जब ओम पुरी ने उनकी पूरी जमात को गंवार और अनपढ़ कह दिया तो उनके  भीतर का सांसद जाग उठा। उन्होंने ओम पुरी, किरण बेदी, अरविंद केजरीवाल और प्रशांत भूषण के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दे दिया।
अब ऐरन को लग रहा है कि विशेषाधिकार नोटिस के जरिये टीम अन्ना जनता की नजरों में हीरो बनना चाहते हैं। कल तक अपने ‘खास अधिकारों’ को मिली चुनौती से आक्रोशित और आहत ऐरन को अचानक यह ब्रह्मज्ञान कैसे हो गया कि टीम अन्ना के सदस्य अपने खिलाफ नोटिस की आड़ में सस्ती राजनीति कर कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे है़। विशेषाधिकार नोटिस वापस लेकर अब प्रवीण ऐरन का इरादा टीम अन्ना के दुष्ट सदस्यों का ‘असली चेहरा’ जनता के सामने बेनकाब करने का है। बहुत नेक विचार है।
अचरज इस बात का है कि ऐरन को यह ज्ञान दिल्ली बम धमाकों के ठीक अगले दिन हुआ। कहीं ऐरन को यह डर तो नहीं लगा कि जनता उनसे यह पूछेगी कि जब आप अपने खिलाफ हुए शाब्दिक हमले से इतने आग बबूला हो सकते हो तो आम आदमी के खिलाफ हो रहे जानलेवा आतंकी हमलों पर आपका खून पानी क्यों हो जाता है।
जनता ऐरन से यह पूछ सकती है कि जब आपकी सरकार के मंत्री श्री सुबोध कांत यह कह रहे हैं कि जनता अब बम विस्फोटों की अभ्यस्त हो गई है, तो सांसदों को भी जनता की खरी-खोटी सुनने की आदत डाल लेनी चाहिये।
ऐरन तो समझदारी दिखाते हुए विशेषाधिकार के पहाड़ से उतर गये हैं।  लेकिन जो सांसद अभी भी विशेषाधिकार के कवच से खुद को बचाने की जुगाड़ में जुटे हैं, उनको बम धमाकों के शिकार परिजनों के खिलाफ भी शीघ्र विशेषाधिकार हनन नोटिस देना चाहिये जिन्होंने राजकुमार के खिलाफ नारेबाजी कर उन्हें अस्पताल से भगा दिया।

वैसे, टीम अन्ना को बेनकाब करने के लिये ऐरन जो अभियान चलाने वाले हैं उसके लिये शुभकामनाएं।  

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