Sunday 4 September 2011

राजकुमार का जन्‍मसिद्ध अधिकार


सिरफिरे बूढ़े को रोकना होगा। नहीं तो वो हमारे राजकुमार के लिये सबसे बड़ा सिरदर्द बन जायेगा। आखिर हमारे राजकुमार ही तो अगले प्रधानमंत्री बनने वाले हैं। उन्हें रोकने की हिम्मत कौन कर सकता है? प्रधानमंत्री बनना उनका जन्मसिद्ध अधिकार है। फिर इस बात से क्या फर्क पड़ता है कि राजकुमार ने अभी तक अपनी नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन नहीं किया है? सभी लोग अभिमन्यु जैसे तो नहीं होते जो अपनी मां के गर्भ से ही बहुत कुछ सीख कर आ जाते हैं। वैसे ये तो बेचारे राजकुमार की किस्मत ही खराब थी जो वे उस दिन भारत लौटे जिस दिन अन्ना हजारे को गिरफ्तार किया था। मुझे तो उन लोगों की समझदारी पर हंसी आती है जो यह कह रहे हैं कि खुद राजकुमार को अन्ना से मिलने तिहाड़ जाना चाहिये था और विनम्र होकर उनके साथ ठंडे दिमाग से बातचीत करनी चाहिये थी। यह तो बड़ा ही बेतुका सुझाव हुआ? क्या देश का भावी प्रधानमंत्री एक आम अपराधी से मिलने तिहाड़ जायेगा? इससे तो भविष्य में सभी अपराधी  जेल में भूख हड़ताल कर राजकुमार से मिलने की जिद पकड़ बैठते।
कुछ कथित विश्लेषक यह कह रहे हैं कि राजकुमार दस दिन तक चुपचाप रहे और कुछ नहीं बोले। राजकुमार को क्या समझ रखा है? छोटे मुद्दों पर बोलकर बड़े नेता अपना समय बर्बाद नहीं करते। इसके लिये तो बकायदा मनीष तिवारी जैसे समझदार प्रवक्ताओं को नियुक्त कर रखा है। हमारे राजकुमार पर कटाक्ष किया जा रहा है कि अगर वे संसद में बोलने के बजाय चुप ही रहते तो ज्यादा अच्छा होता। ये तो नाइंसाफी है। अन्ना और उसके साथियों को तो जो दिमाग में आये वो बोलने की छूट है। लेकिन अगर देश का भावी प्रधानमंत्री लिखा हुआ भाषण भी पढ़े तो कुछ लोगों को वह राजनीति विज्ञान के किसी प्रोफेसर के लेख की नकल नजर आता है। हमारा पप्पू कभी फेल नहीं हो सकता।
 हमारी परम्पराओं से अनभिज्ञ संदीप दीक्षित जैसे नासमझ नेता ही अन्ना की टीम के  हौसले बढ़ा देते हैं। संसद में अपने लम्बे-चौड़े भाषण में दीक्षित फालतू की बातें करते रहे लेकिन राजकुमार के नाम का उन्होंने जिक्र तक नहीं किया। उनसे भी निपट लिया जायेगा।
 इसलिये अन्ना को भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता से दूर रखने के लिये जैड सिक्यूरिटी प्रदान करने का फैसला किया गया है। हिन्दुस्तान में सभी राजनेताओं का यह ख्वाब होता है कि उनके साथ चार-पांच स्टेनगनधारी बॉडीगार्ड चलें। फिर अन्ना को जिद छोडक़र खुशी मनानी चाहिये कि उन्हें अंगरक्षकों की पूरी फौज दी जायेगी। सरफिरे अन्ना का कहना है कि उन्हें जैड सिक्यूरिटी नहीं चाहिये क्योंकि वे आम आदमी के बीच रहना चाहते हैं। यही तो समस्या की जड़ है। अन्ना को समझाओ कि अगर ‘आम आदमी का हाथ अन्ना के साथ’ हो गया तो फिर ‘कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ’ नहीं हो पायेगा। यह किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं है। हमारे राजकुमार उस खानदान के कुलदीपक हैं, जहां केवल प्रधानमंत्री ही जन्म लेते हैं।

1 comment:

  1. जय हो, नचिकेता, क्‍या धार है...

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