Wednesday 14 September 2011

रास आया उपवास


उपवास एक बार फिर फैशन प्रतीक बन गया है। नामी-गिरानी लोगों ने उपवास रखकर उसकी लोकप्रियता में इजाफा कर दिया है। जहां देखो कोई न कोई उपवास रख रहा है। खबरिया चैनलों के लिये उपवास की खबरें ‘ब्रेकिंग न्यूज’ बन रही हैं। अगर यही सिलसिला जारी रहा तो आने वाले दिनों में बहुत से लोग उपवास करते नजर आयेंगे।
अन्ना 12 दिन उपवास कर शिक्षित मध्यमवर्ग के घर-घर में अपनी खास जगह बना चुके हैं। अब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी 17 से 19 नवंबर तक उपवास रखेंगे। मोदी सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से खुशी से फूले नहीं समा रहे हैं। क्या पता उपवास के माध्यम से मोदी गुजरात दंगों का दाग धोने की कोशिश कर रहे हैं। तभी तो मोदी के आलोचक यह कह रहे हैं कि अगर उनका उपवास गुजरात में सांप्रदायिक सौहार्द और एकता के लिए है तो इसका मतलब गुजरात में सौहार्द बिगड़ा हुआ है। कांग्रेस पार्टी भी उपवास की पवित्रता को बरकरार रखना चाहती है और मोदी के उपवास का बदला उपवास से ही देने जा रही है। गुजरात में मोदी के प्रतिद्वंद्वी शंकरलाल वघेला के नेतृत्व में कांग्रेस नेता साबरमती आश्रम में तीन दिन का उपवास करेंगे। यानी फुल मीडिया तमाशा।
आत्मशुद्धि के लिये या उदर शुद्धि के लिये या फिर मीडिया में अपनी छवि शुद्धि के लिये, उपवास के कुछ फायदे तो सबके सामने हैं। सबसे पहला फायदा तो उपवास रखने वाले को है। उसका हाजमा ठीक हो जाता है और बैठे-बिठाये ढ़ेर सारी टीवी कवरेज मिल जाती है। और उपवास का सबसे ज्यादा फायदा देश को है। भारत की 121 करोड़ आबादी का बड़ा हिस्सा गरीबी  और कुपोषण से ग्रस्त रहता हैं। यदि हमारा मध्यम वर्ग और अभिजात्य वर्ग ज्यादा से ज्यादा उपवास रखें तो ऐसी संभावना बन सकती है कि गरीब जनता को दो वक्त की रोटी नसीब हो जाये।
आम आदमी की पैरोकार यूपीए सरकार को इस मौके का लाभ उठाना चाहिये और उपवास की एक राष्ट्रीयव्यापी योजना बनानी चाहिये। सरकार चाहे तो सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद से एक ड्राफ्ट तैयार करवा सकती है। चूंकि उपवास को फिर से लोकप्रिय बनाने का श्रेय अन्ना हजारे को है तो इस योजना का नाम ‘अन्ना हजारे राष्ट्रीय उपवास कार्यक्रम’ रखा जा सकता है। क्या पता इससे अन्ना भी खुश हो जायें और आगे सरकार को परेशान करने के बजाय पूरे देश की जनता को उपवास के गुणों की जानकारी देने की यात्रा पर निकल पडें।
इस कार्यक्रम की शुरूआत महात्मा गांधी के जन्मदिन पर की जा सकती है और इस बात पर तो अन्ना को भी आपत्ति नहीं होगी।
अन्ना के आंदोलन को समर्थन करने वाली बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी यदि उपवास कर लेते तो  उनको अपना मोटापा कम करने के लिये ऑपरेशन न कराना पड़ता।

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